Wednesday, August 5, 2020

socity n mobile

भारत में जब मोबाइल नया-नया आया था, तब हर मोबाइल रखने वाला इंसान किसी महामानव से कम नहीं समझा जाता था। वह भी एक अलग ही जमाना था, जब लोग रोमिंग में जाते ही अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर देते थे, क्योंकि बिल बहुत ज्यादा आता था। लेकिन, पिछले दस-पंद्रह सालों में बैंकों में काम-काज से लेकर बच्चों के स्कूल कॉलेज में एडमिशन फॉर्म तक, रेलवे रिजर्वेशन हो या ऑफिस में कामकाज का तरीका, आज के संदर्भ में सबकुछ बदल गया है। क्योंकि, सामाजिक बदलाव एक स्वभाविक प्रक्रिया है। अगर हम समाज में सामंजस्य और निरंतरता को बनाए रखना चाहते हैं तो हमें उसी अंदाज में अपने व्यवहार को परिवर्तनशील बनाना ही होगा। अगर ऐसा न होता तो मानव समाज की इतनी प्रगति संभव नहीं होती।

अगर हम थोड़ा और अतीत, यानी महज सौ-सवा सौ साल पहले की बात करें, जब सूचना पहुंचाने के लिए इंसानों को एक जगह से दूसरी जगह चलकर जाना होता था। इस तरह संदेश या सूचना को किसी जगह पहुंचाने में महीने लग जाया करते थे। फिर माध्यम के तौर पर जगह ली अख़बार ने। आज़़ादी की लड़ाई में अख़बार और पत्र-पत्रिकाओं ने अहम भूमिका निभाई। वहीं आज पलक झपकते ही सूचना पहुंचाने के कई-कई तरीके हमारे पास हैं, जिन्हें हम मीडिया के नाम से भी जानते हैं।

आज समाज मे केवल संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य ही है जो मोबाइल का सही उपयोग करते है। बदलते समाज मे नए युवा गेम के की वजह से बहुत से हादसे हो जाते है संत रामपाल जी के शिष्य ही है जो अश्लील वीडियो और कोई भी ऐसी फालतू वीडियो देखना ये सब मर्यादा के खिलाप है तो सही उपयोग करना ही 

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