अपराध के कुछ प्रमुख कारण निम्न है--
- आर्थिक कारण
- मनोवैज्ञानिक कारण
- शारीरिक विकार
- स्वस्थ्य मनोरंजन के साधनों की कमी
- चलचित्र
- मनौविज्ञानिक कारण।
- दहेज जेसी कु प्रथा
- भेद भाव
- शराब पि कर जेसे अपराध्
कारण
दंडाभियोग के भिन्न-भिन्न कारण हो सकते हैं; यथा, क्षणिक आवेग, भावुकता, पूर्वविचार, भावी विनाश से रक्षा, आदि। दृष्टांत के लिये राजनीतिक हत्याओं को ले सकते हैं। किसी राजनीतिक लक्ष्य की पूर्ति के निमित्त कुछ लोग षड्यंत्र कर राज्य के प्रमुख की हत्या कर डालते हैं। ऐसा पूर्व विचार से ही होता है, क्षणिक आवेग से नहीं। प्रत्यक्ष हत्यारा भावुकता से, पैसे के लोभ से या अपने दल के लक्ष्य की पूर्ति के कारण अपराध करता है। उसके गिरफ्तार होने पर इस आशंका से कि कहीं वह रहस्य का उद्घाटन कर अपने साथियों का विनाश न करवा दे, षडयंत्रकारी उसका वध कर देते हैं। इसी प्रकार डकैती करते हुए जब एक डाकू घायल होकर गिर पड़ता है तो उसके साथी उसे ढोकर ले जाने में अक्षम होने के कारण उसका सिर काट ले जाते हैं, ताकि उसके मृत शरीर के द्वारा उसकी पहचान न हो सके या जीवित रहने पर क्षमा पाने के आश्वासन से वह अपने दल का रहस्य न खोल दे।
अपराध का खात्मा
केवल सत भक्ति से ही खत्म हो सकता है।
आज के युग में केवल एक ही संत रामपाल जी महाराज ही हे जो सारी बुराइयो को समाप्त करवा रहे केवल सत भक्ति से सारी बुराइया छुड़वा रहे हे इस कलयुग में मात्र सत भक्ति से ही हम शास्वत स्थान पर प्राप्त किया जा सकता है ऐसा ज्ञान पुरे विश्व् में इनके अलावा कोई भी नही है
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